DEPARTMENT OF HINDI
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Contact Information
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HOD
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Address
Department of Hindi, Narain College, Shikohabad (U.P.) 283135 |
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Phone No.
(O): 91-5676-000000 (M): 91-9358430238 |
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Email
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About Department
हिन्दी विभाग की स्थापना 1959 में हुई तथा स्नातकोत्तर कक्षाएं भी 1972 से अनवरत रूप से संचालित हैं। अध्ययन- अध्यापन की दृष्टि से महाविद्यालय का हिन्दी विभाग आगरा मंडल में विशेष स्थान रखता है। 1972 से ही हिन्दी विभाग उच्चस्तरीय शोध-कार्य का प्रमुख केन्द्र रहा है। विभाग द्वारा निर्देशित अनेक छात्र-छात्राएं प्रतिवर्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संचालित नेट/जे०आर०एफ० परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रवीणाता प्रमाणित कर रहे हैं। सभी शिक्षक समय- समय पर राष्ट्रीय- अन्तर्राष्ट्रीय सेमीनारों,कार्यशालाओं आदि में प्रतिभागिता प्रदर्शित करते हुए निरंतर ज्ञान-संवर्धन तथा साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण-परिरक्षण-विकास-परिवर्धन हेतु सोच एवं संवेदना दोनों स्तरों पर पूरी निष्ठा से प्रयासरत हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा गठित ‘नैक’ के सदस्यों ने भी हिन्दी विभाग द्वारा किये जा रहे शोध- कार्य, अध्ययन- अध्यापन की प्रक्रिया, प्रकाशन एवं ज्ञान के क्षेत्र मे किये जा रहे रहे उल्लेखनीय कार्यों को संज्ञान में लेते हुए इसकी अकादमिक सराहना महाविद्यालय की रिपोर्ट में प्रस्तुत की है। hindindcskb.weebly.com
Heads in Chronological Order
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S.NO. |
Name |
From |
To |
1 |
Dr. S. C. Dubey |
1972 |
1992 |
2 |
Dr. B. K. Chaturvedi |
1992 |
2001 |
3 |
Dr. C. B. Jain |
2001 |
2005 |
4 |
Dr. Akhilesh Shotriya |
2005 |
30-jun-2013 |
5 |
Dr.M.C.Chaudhary |
01-jul-2013 |
tillnow |
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Faculties
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Specialization
प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक साहित्य, लोक साहित्य, भारतीय साहित्य, भाषा विज्ञान, काव्य शास्त्र |
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Achievements
हिन्दी विभाग में अब तक डा०बी०के०चतुर्वेदी के निर्देशन में- 17, डा० सी०बी०जैन के निर्देशन में- 22, डा० अखिलेश श्रोत्रिय के निर्देशन में- 05, डा० महेश चन्द्र चौधरी के के निर्देशन में- 10 एवं डा० अनुपमा चतुर्वेदी के निर्देशन में- 01 शोध-छात्र- छात्राओं को पीएच०डी० की उपाधि से अलंकृत किया जा चुका है।अब तक ६० विद्यार्थियों ने लघु शोध-प्रबन्ध (डिसर्टेशन) प्रस्तुत कर हिन्दी विभाग को सक्रिय शोध-केन्द्र के रूप में स्थापित किया है। डा० महेश चन्द्र चौधरी(महेश आलोक) की चार संदर्भ आलोचनात्मक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। सन् 2012 में एम०ए० की छात्रा ने विश्वविद्यालय में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर 5 स्वर्ण पदक प्राप्त करके न केवल विभाग को अपितु महाविद्यालय को भी गौरवान्वित किया है। |
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